Notice (T&C)

Important Notice

Shree Shree JatteeMaharaj Jan Hitkari Ashram is a public welfare trust. All activities of this trust are for betterment of human beings. Hence all activities of various individuals associated with this trust are for service to others. Profit making is not our goal in any way act or practice. Nor is the attitude taken by anyone associated with trust .

Everyone connected with the institution including founders, administrators, trustees and management ,all members of the Board and Advisory Council, employees, legal and financial advisors and any other entity involved in a project, all people in particular are associated with this institution or cooperating in any form, be involved will be treated as its member.

In case of disputes arising out of any dealing or transaction, by any person or group of persons or institution involved in our projects/initiatives or members of our trust,no legal proceedings or actions can be taken.
In case of any dispute emerging out of any activity of trust, decision of institution’s Managing Trustee Shri ShriJatteeMaharaj will prevail and he will be considered responsible and authorized for any action of trust. His action and direction will be considered as representation and expression of trust.

The aim of the organization is the benefit of human and animal, the institution receiving the money or object of any type or movable and immovable property (which is not in the form of loan or deposit) will not bereturnedin any way. Anydonations will be used for the charitable and public benefit purpose.

Thus, any one should give any money, property, after much deliberation to trust or any person associated with trust (for trust purpose).Once received any donation will not be returned. Trust advices anyone willing to transact with it to be fully aware of these conditions. Only after understandingthese conditions and with full awareness of conscious mind and healthy spirit and without any pressure and agreement of his/her successor(s) donation should be given.


अतिआवश्यक आम सूचना

श्री श्री जत्ती महाराज जन हितकारी आश्रम एक सार्वजनिक मानव व जीव हितार्थ प्रन्यास है, इसके द्वारा या इसके माध्यम से किये जानेवाले सभी व्यवहार व कार्य जन हितार्थ व् जीव मात्र के हित में ही होते है। इसलिये इस संस्था या संस्था से जुडे सभी लोगो का सभी प्रकार का कार्य देन लेन आदि सेवार्थ भाव का ही होता है। इसमें लाभ के भाव से किसी प्रकार का कोई कार्य या व्यवहार नहीं किया जाता है। ना ही ऐसा भाव किसी के द्वारा रखा जाता है।

इसमें संस्था से जुडे सभी लोग जिनमें मुख्य रूप से संस्था व संस्था के संस्थापकगण-संचालकगण-ट्रस्टीगण-प्रबन्धक ट्रस्टी-मार्गदर्शक मण्डल के एवं सलाहकार परिषद के सभी सदस्यगण प्रन्यास के अधिकार-कर्मचारी-सेवक-कानूनी एवं वित्तिय सलाहकार व अन्य किसी संस्था से जुडे सभी लोग जो किसी प्रोजेक्ट विशेष में इस संस्था के साथ जुडे हो या किसी भी रूप में सहयोग कर रहे हो, शामिल समझे जायेंगे।

किसी भी प्रकार के कार्य व्यवहार या देन लेन से जुडे कोई भी विवाद होने कि स्थिति में किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह या संस्था के द्वारा उक्त संस्था या संस्था से जुडे किसी भी व्यक्ति या इस संस्था से जुडी किसी अन्य संस्था पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाहीं नहीं कि जा सकेगी कोई भी कानूनी कार्यवाही उक्त संस्था से जुडे लोगों पर नहीं की जा सकेगी

यदि किसी भी प्रकार का कोई विवाद दुर्भाग्यवश संस्था के किसी कार्यकलाप के कारण प्रकट होता है तो उसके लिये संस्था के प्रबन्धक न्यासी श्री श्री जत्ती महाराज द्वारा लिया निर्णय ही मान्य होगा तथा कोई भी कार्यवाही के लिये जत्ती महाराज ही उत्तरदायी व अधिकृत माने जायेगे और जत्ती महाराज के प्रत्येक निर्णय व कार्यवाहीयों को सर्वसम्मत कार्यवाहीयां मानी जायेगी जत्ती महाराज के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।

यह कि संस्था का उद्देश्य मानव व जीव हितार्थ है, इस लिये संस्था को प्राप्त किसी भी प्रकार का धन या वस्तु या चल-अचल संपत्ति (जो कि ऋण या अमानत के रूप में न हो) को पुनः किसी भी प्रकार से वापिस नहीं किया जा सकेगा सभी प्रकार से प्राप्त धन-सम्पत्तियों को संस्था में धमार्थ व सहायतार्थ मान कर जमा कर लिया जायेगा-और-यह माना जायेगा- कि वह धन -सम्पत्ति प्रथम रूप से ही धमार्थ व जन हितार्थ संस्था को या संस्था से जुडे किसी भी व्यक्ति को दी गयी है।

इस प्रकार से कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का धन संपत्ति बहुत सोच विचार के पश्चात् ही संस्था या उसके किसी व्यक्ति को देवे एक बार देने के पश्चात् पुनः प्राप्ती किसी भी प्रकार सम्भव नहीं होगी, संस्था यह मानती है कि हमसे लेन देन करने वाला व व्यवहार करने वाला व्यक्ति या संस्था इस सूचना को भली प्रकार पढ व समझ चुका है और उसके पश्चात् ही पूर्ण होश हवास व स्वस्थ चित्त से बिना किसी दबाव के धमार्थ भाव व सहायतार्थ भाव से संस्था को अपनी स्वेच्छा से धन या चल-अचल सम्पत्तियां या अन्य किसी भी प्रकार की सेवाएं दे रहा है, और इस कार्य में उसकी व उसके उत्तराधिकारीयों की पूर्ण सहमति है।