Astrology

Astrological  Special Services:-

संस्था द्वारा उपलब्ध विशेष सेवाए
1 –जन्मपत्रियों का मिलान, हम विवाह के लिए केवल अष्टकूट गुण मिलाननहीं करते बल्कि जीवन साथी के एवम साझेदार के चुनाव हेतु  जन्मपत्रियों का मिलान करते हैं साथ ही दोषो का निवारण भी किया जाता हैं
2 -नूतन गृहप्रवेश लुप्त सिद्ध प्राचीन पद्धति से वंश वृद्धि हेतु
3-सात फेरे वेदोक्त विशिष्ठ पद्धति द्वारा(वर-वधु के सुखद जीवन हेतु)
4 -ग्रहशांति हवन (तांत्रिक पद्धति से) मनोकामना पूर्ति वास्ते
5 -जटिलतम रोगों के निदान वास्ते अनुष्ठान व् जप (सिद्ध वैदिक तांत्रिक पद्धति द्वारा)
6 -सभी प्रकार के बन्धनों (प्रेम अथवा विवाह बंधन-संतान बंधन- व्यापर का बंधन आदि-आदि) के निवारणार्थ अनुष्ठान व् जप (सिद्ध वैदिक तांत्रिक पद्धति द्वारा)
7 -रत्न व् यन्त्र मनोकामना पूर्ण करनेवाले
8  -रत्नों को अभिमंत्रित करने आदि की व्यवस्था (केवल विशिष्ठ लोगो के लिए)
9  -सभी ग्रहों के राशी रत्न व् उपरत्न अभिमंत्रित किये हुए भी माँग अनुसार उपलब्ध हैं ।

नोट :- अधिक जानकारी हेतु वेबसाइट की सर्विसेस हेड विंडो में देखे ज्योतिष का वास्तविक पक्ष जो आपको अवश्य जानना चाहिए

जीवन और ज्योतिष का एक अटूट सम्बन्ध है, जीवन ईश्वरीय देन है, और आपके स्वयं के द्वारा ही (पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार) निर्मित है, आप प्रत्येक क्षण जो भी कार्य कर रहे है, वह आपके अगले जन्म का निर्धारण कर रहा है। इस प्रकार प्रत्येक जन्म के कर्म आपके अगले जन्म के निर्माता है।

ज्येतिष विद्या के माध्यम से पूर्व जन्म के कर्मो द्वारा निर्मित इस जन्म के बारे में अनुमान लगाया जाता है। यह एक अभिषप्त विद्या है।  इसमें यदि कोई 100 प्रतिशत सत्य भविष्य कथन की बात करता है, या 100 प्रतिशत कार्य की गारन्टी देता है, तो वह इस पृथ्वी पर साक्षात नारायण स्वरूप ही माना जायेगा- मां पार्वती द्वारा भृगु ऋषि को अभिशाप दिये जाने के बाद से ही ज्योतिष 100 प्रतिशत भविष्य कथन में असमर्थ है। किसी किसी का कोई कथन सटीक हो रहा है यह एक गोविन्द कृपा ही है।

यदि किसी विद्वान का आपके लिये 70-80 प्रतिशत कथन सही बैठ रहा है। तो वह अच्छा ज्योतिष ज्ञाता माना जाना चाहिये जन्म कुण्डली केवल आपके अच्छे-बुरे समय व क्षेत्र को ही दर्शाती है। उसके लिये किस प्रकार का उपचार किया जाये यह विद्वानों द्वारा स्वयं की साधना, अनुभव, विवेक व जातक की स्थिति के अनुसार तय किया जाता है।
ज्योतिष उपचार में तन्त्र- मंत्र- औषधि- रत्न- हवन- दान- जप एवं आशीर्वाद का बहुत बडा योगदान है। तन्त्र व् वैदिक क्रिया और आशीर्वाद से कठिन समय व परिस्थितियों को हल्का किया जा सकता है व परिवर्तन सम्भव है।
बुरे विचारों व परिवेश में व्याप्त नकारात्मक उर्जा को अच्छे विचारों एवं सकारात्मक उर्जा में परिवर्तन क्रिया ही तन्त्र क्रिया मानी जानी चाहिए।

यह सब प्रकृति में व्याप्त है प्रत्येक जीव मात्र प्रकृति द्वारा ही संचालित व पोषित है। बिना प्रकृति सहयोग के जीव की कल्पना भी नामुमकिन है।
सुख व स्वतन्त्रता जीव का मूल स्वभाव है। इस लिये सुख प्राप्ती हेतु प्रत्येक जीव उपाय करता रहता है।
ज्योतिष- तन्त्र- वास्तु- पूजा- पाठ- जप- हवन-अन्न-दान- अनुष्ठान अन्य विभिन्न धार्मिक व पुण्य कार्य सब व्यक्ति सुख प्राप्ती व सुखों के चिर स्थायी प्राप्ती हेतु करता रहता है।

विवाह भी सुख व अपनी वंश की वृद्धि व संचालन हेतु आवश्यक है। सुखी व स्थायी जीवन की अभिलाष से ही विवाह के पूर्व जन्म कुण्डलीयों का मिलान कराया जाता है तथा पूर्ण आस्था से विधि विधान द्वारा धार्मिक अनुष्ठान (फेरों) द्वारा विवाह सम्पन्न करने का चलन व्याप्त है।

आज वर्ममान में भौतिक ज्ञान का विकास चरम पर है, और जीवन शैली पश्चिम के विकसित देशों से बहुत प्रभावित है।
ऐसे में जन मानस द्वारा किसी भी प्रकार से वर-वधू की कुण्डलीयों का मिलान अपने सुविधानुसार कराये जाने का प्रयास किया जाने लगा है, जो कि वैवाहिक जीवन के लिये बहुत बडा दुर्योग निर्माण कर रहा हैै।
आज समाज में केवल गुण-मिलान सारणी के आधार पर कुण्डलीयां मिलायी जा रही है। वास्तव में कुण्डलीया मिलायी ही नही जा रही केवल गुण सारणी के अनुसार 36 में से 18 से उपर गुणा होने पर विवाह की अनुमति मान ली जाती है। यह पूर्णतया गलत हैं।

गुण-मिलान सारणी एक सहायक विधि है मिलान के लिए लेकिन यही एकमात्र विधि है ऐसा मानना बहुत बडी गलती है, जिसके परिणाम आज समाज में वैवाहिक सम्बन्ध टूट रहे है।
तलाक की घटनायें, मारपीट की घटनायें, अनैतिक आचरणों की वृद्धि में ये मूल कारण हो सकते हैं।

आप स्वयं अपने आसपास व परिवार में देखे कि, गुण-मिलान सारणी अनुसार 36 में से 26 से 35 गुणा मिलान पश्चात भी वैवाहिक सम्बन्ध दूषित क्यों है। मेरी बात स्वतः ही आपको समझ आ जायेगी।
मंगल ग्रह को लेकर भी बहुत भ्रम की स्थिति बनी हुयी है। केवल जन्म कुण्डली में 1-4-7-8-12 भाव में मंगल ग्रह के स्थित होने मात्र से ही कुण्डलीयां दूषित नही होती है। मंगल के दोष परिहार पर भी सभी को ध्यान देना चाहिये जिस ऋषियों ने यह दोष बताया उन्ही के द्वारा उसके परिहार भी बतायें गये है, लेकिन आज समाज के कुछ बुद्धि जीवी लोग केवल एक पक्ष मंगल देाष तो कुण्डली में स्वीकार करते है लेकिन उसके परिहार पक्ष पर ध्यान नहीं देते या मान्यता नहीं देते जिसके कारण से अच्छे अच्छे सम्बन्ध परिवारों द्वारा नकार दिये जाते है।
महाराज श्री का विनम्र निवेदन है कि सभी लोग ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा वर –वधु की कुंडलियों का मिलान कराये केवल गुण मिलान नहीं तथा विवाह की समस्त धार्मिक क्रियाए फेरे और गृह प्रवेश भी योग्य विद्वानों द्वारा तथा पूर्ण श्रद्धा पूर्वक विधि विधान से निर्धारित मुहूर्त समयानुसार ही कराये तथा जीवन की अनेक अदृष्य कठिनाईयों से अपने को व् संतानों को भी सुरक्षित करें।

यदि आप महाराज श्री के द्वारा अपने भविष्य की जानकारी प्राप्त करना चाहते हे या विवाह हेतु कुण्डलीयां मिलान कराना चाहते है या वर या वधु हेतु योग्य जीवनसाथी की विश्वशनीय जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप से विनम्र प्रार्थना है कि, वेबसाईट में दिये फार्मेट में पूरी जानकारी लिखें।