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महाराजश्रीकासूक्ष्म जीवन परिचय :

पूज्य गुरुदेव श्री श्री निर्मलानन्द जत्ती महाराज (प्राकृतिक चिकित्सक एवम वैदिक चिकित्सक-ज्योतिर्विद) का जन्म तंत्र-शिरोमणी,देवी उपासक परमपूज्य (डॉ.) पं.श्रीराधेश्याम शर्मा “परमहंस” उर्फ़ “हरिहर शरनानंद  महाराज” के आश्रम में 60 वर्ष पूर्व हुआ |
पूज्य गुरुदेव श्री श्री निर्मलानन्द जत्ती महाराज के पूर्वज शक्ति के उपासक व् साधक रहे है और शक्ति की साधना से प्राप्त सिद्धीयों व अनुभवों से असाध्य बिमारियों व अन्य प्रकार की परेशानियों का उपचार करते आ रहे है। इसी कारण से इनको “जत्ती जी महाराज” के नाम से भी जाना जाता है।

महाराजश्री निर्मलानंद जत्ती ( नेचुरोपेथिक चिकित्सक एवम वैदिक ज्योतिषाचार्य) को चिकित्सा क्षेत्र में :-

मानसिक तनाव, अनिद्रा,मधुमेह, रक्तचाप, कैंसर, यकृत संबंधी रोग,स्वप्नदोष,  मासिक धर्म की समस्या,  स्त्री रोग,  गर्भावधि रोग, पुरुष रोग,  नपुंसकता, आदि के प्राकृतिक चिकित्सा पद्दति द्वारा इलाज का अच्छा ज्ञान है।
शारीरिक एवं मानसिक रोगों व अन्य प्रकार की उपरी परेशानीयों (भूत-प्रेत बाधाओं) के निवारण का विगत 40 वर्षो का अनुभव है। सभी प्रकार के उपचार नेचुरोपेथिक चिकित्सीय ज्ञान,वैदिक पद्दति एवम ज्योतिष ज्ञान,पूर्वजो से प्राप्त अनुभवों और साधना से प्राप्त शक्तियों, वैदिक व तान्त्रिक मंत्रोके द्वारा करते है।

महाराजश्री निर्मलानंद जत्ती बाल अवस्था से ही बहु प्रतिभावान रहे है। बचपन में ही अनेक अनुष्ठान व कठोर तप किया तथा कई प्रकार की साधनाओं के द्वारा सिद्धीयाँ अर्जित की है साथ ही अनेक विषयों में मास्टर डिग्रीयां व डिप्लोमा भी प्राप्त किये हैं जैसे कि:

नेचुरोपेथी चिकित्सा शिक्षा –वैदिक शिक्षा –ज्योतिष शिक्षा –रेक्की चिकित्सा – स्पर्श चिकित्सा –रत्नविज्ञान शास्त्र – वास्तुशास्त्र –कानूनी शिक्षा–व्यावसायिक व् वित्तीय प्रबन्धन शिक्षा इत्यादि
महाराजश्री निर्मलानंद जत्ती नेचुरोपेथी चिकित्सा व जप साधना को श्रेष्ठ मानते हैं एवम नेचुरोपेथी चिकित्सा,जन-सेवा एवम जप-साधना में ही लीन रहते है।

विनम्र निवेदन:-
पूज्यगुरुदेव निर्मलानंद जत्ती महाराज के सभी प्रकार के कार्यकलापों से प्राप्त धन का उपयोग जनहित के लाभार्थ प्रयोग किया जाता है।

Maharaja Shriikasukma life introduction:
Pujya Gurudev Sri Sri Nirmalanand Jatti Maharaj (Naturopathic and Vedic physician-Jyotirvid) was born 60 years ago in the ashram of Tantra-Shiromani, Devi worshiper Parampujya (Vaid) Pt. Sriradheshyam Sharma “Paramhans” aka “Harihar Sharan Maharaj”.

Pujya Gurudev Sri Sri Nirmalanand Jatti Maharaj’s ancestors have been worshipers of Shakti and have been treating incurable diseases and other types of problems with the teachings and experiences of Shakti. For this reason, he is also known as “Jatti Maharaj”.

Maharajashree Nirmalananda Jatti (Naturopathic doctor and Vedic astrologer) in the medical field: –

Knowledge of mental stress, insomnia, diabetes, blood pressure, cancer, hepatic diseases, nightmares, menstrual problems, gynecology, gestational disease, male diseases, impotence, etc. by natural healing methods.
Experience of the past 40 years of prevention of physical and mental diseases and other types of upper problems (ghosts and obstacles). All types of treatment are done by Naturopathic medical knowledge, Vedic practice and astrological knowledge, experiences gained from ancestors and powers derived from spiritual practice, Vedic and tantric mantras.

Maharajashree Nirmalanand Jatti has been very talented since his childhood. In childhood, he performed many rituals and rigorous penance and achieved siddhis through many types of sadhanas, as well as master’s degrees and diplomas in many subjects such as: –

Naturopathy Medical Education – Vedic Education – Astrology Education – Reconcile Medicine – Touch Medicine – Gemology – Vastu Shastra – Legal Education – Professional and Financial Management Education etc.
Maharajashree Nirmalananda Jatti considers Naturopathy therapy and chanting practice to be the best and is engaged in Naturopathy therapy, public service and chanting.

polite requests:-

The money received from all kinds of activities of Pujyagurudeva Nirmalananda Jatti Maharaj is used for the benefit of public interest.
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जीवन और ज्योतिष का एक अटूट सम्बन्ध है, जीवन ईश्वरीय देन है, और आपके स्वयं के द्वारा ही (पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार) निर्मित है, आप प्रत्येक क्षण जो भी कार्य कर रहे है, वह आपके अगले जन्म का निर्धारण कर रहा है। इस प्रकार प्रत्येक जन्म के कर्म आपके अगले जन्म के निर्माता है।

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